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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 13


अंजली अपने कमरे में चली जाती और दरवाजे के पीछे से दादी और पिता की बाते सुनती उसे डर था कि पिता जी मना कर देंगे। चाहती तो वो भी नही है अपने पिता को छोड़ कर जाना लेकिन एक ना एक दिन तो जाना ही पड़ता है हर लड़की को ।


अम्मा तुमने मुझे रोका क्यू और ये क्यू कहा की सोच कर बताएंगे । मैं तो साफ मना करने वाला था कि मुझे अभी अपनी बेटी की शादी नही करनी है । वो अभी कॉलेज जाएगी पढ़े लिखेगी उस के बाद कही देखूंगा । दुर्जन कहता है 


मेरे बेटे , मेरे लाल समझा कर बात को। मैं कोई तेरी बेटी की दुश्मन नही हू , जितना तू सोचता है उसके बारे में उतना मैं भी सोचती हूं । वो मेरी  पोती है । समझा कर बेटियों की शादी सही उम्र और सही समय में हो जाए तो समझो गंगा नहा ली ।

अभी वो कच्ची उम्र में है कल वल को कोई ऊंच नीच हो गई तो फिर तू क्या करेगा । वैसे भी एक हादसा हो चुका है उसके साथ । लड़कियों को सही उम्र में अच्छा जीवन साथी मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाता है ।

और रही बात पढ़ाई की तो वो शादी के बाद भी की जा सकती है । और अमित एक पढा लिखा समझदार लड़का लगा मुझे और उसके परिवार वाले भी इस लिए मैंने उन से समय मांग लिया । अब बाकी तेरी मर्जी तू क्या चाहता है । दादी कहती है


अम्मा बात तो तेरी सही है लेकिन अंजली से भी तो पूछना पड़ेगा कि वो शादी के लिए तैयार है या नही । दुर्जन कहता है 

मान जाएगी तू समझाएगा तो । और वैसे भी उसकी सहेली की भी तो शादी हो गई । और वो अपनी सहेली की देवरानी बन कर जाएगी शायद भगवान को यही मंजूर हो की मंजू और अंजली हमेशा एक साथ रहे । दादी कहती है।


फिर भी मां , मैं पहले अंजली की मर्जी जानूगा उसके बाद ही कुछ फैसला करूंगा । दुर्जन ये कह कर अंजली के कमरे में चला जाता है ।

घर बैठे इतने अच्छे रिश्ते किस्मत वालियों के आते है । उसे मना ही लेना अगर मना करे तब भी । दादी कहती है


अंजली , पिता को अपने कमरे में आता देख दरवाजे से हट कर दूर खड़ी हो जाती है । अरे ! पिताजी आप आइए अन्दर बैठते है । कुछ लाऊ आपके लिए । अंजली पूछती है ।

नही बेटा मुझे कुछ नही चाहिए आओ मेरे पास बैठो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है । दुर्जन प्यार भरी आवाज में कहता है ।

अंजली उसके पास बैठ जाती है।

दुर्जन अंजली को प्यार भरी नजरो से देखता और सिर पर हाथ फेरते हुए कहता । वक्त कितनी तेजी से गुजर जाता है । कल का ही दिन लगता है जब दाई ने तुझे मेरे हाथ में दिया और कहा मुबारक हो बेटी हुई है । ये खबर सुन आस पास के लोग उदास थे लेकिन मैं बहुत खुश था । तेरे छोटे हाथ और उनमें छोटी छोटी उंगलियां जिन्होने मेरी उंगली कसके पकड़ रखी थी । मानो कह रही हो की मुझे अपने आप से दूर मत करना ।

तेरी मां से अक्सर मेरी लड़ाई होती क्योंकि मैं तुझे अपने पास सुलाने की जिद्द करता और वो अपने पास । और आखिर में हम दोनो एक साथ तेरे साथ सो जाते । और ना जाने कब  तुझे देखते देखते हम दोनो सो जाते ।


फिर जब छे साल बाद तू छे साल की हूई तब तेरी मां चल बसी । मुझे लगा की उसके साथ मेरा अस्तित्व भी खत्म हो चुका । लेकिन फिर मेरी नजर तुझ पर पड़ी और सोचा ये है ना मेरी गुड़िया मेरे जीने की वजह । अब इसके सहारे ही मैं अपनी जिंदगी काट लूंगा । लेकिन अब देखो इसके भी इस घर से डोली उठने के दिन आ गए वक्त कितनी तेजी से गुजरा पता ही नही चला ।

बेटा तू जानती है,  कि  वो लोग क्यू आए थे । वो लड़का और उसके घर वाले तुझे पसंद करते है और तेरा हाथ अपने बेटे के लिए मांगने आए थे ।

जैसे ही उन्होंने तेरा हाथ मांगने की बात कही थी मेरा दिल जोरो से धड़क उठा लेकिन फिर मैंने अपने दिल को समझाया की ये तो रीत है और हर मां बाप को ये रीत निभानी होती है ।

अंजली अपने पिता को इस तरह बाते करती देख एक टक बिना कुछ कहे देख रही होती है ।

बेटी मैं यहां तेरी मर्जी जानने आया हू । वैसे तेरी दादी का कहना है कि अमित और उसके घर वाले उन्हे अच्छे लगे और तो और अमित की सरकारी नोकरी भी है । वो चाहती है की तेरी शादी उससे कर दू । लेकिन तेरी पढ़ाई उसका क्या होगा ।

पिताजी आपकी क्या मर्जी है , क्योंकि आप ही मेरा सब कुछ है । आपका फैसला मतलब भगवान का फैसला और भगवान कभी भी अपने बंदों को कुएं मैं नही धकेलते । जो आप को सही लगे वो कीजिए मैं आपके हर फैसले में आपके साथ हूं। अंजली कहती है।


बेटा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी । तुमने आज एक बार फिर मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया । अमित और उसके घर वाले मुझे भी सुलझे और अच्छे लगे । और तो और मंजू का देवर ही तो है । तुम दोनो शादी के बाद भी एक ही शहर  में रहोगी बस घर अलग अलग होंगे ।

और अमित के परिवार वाले अच्छे और पढ़े लिखे लोग है । अमित तुझे आगे पढ़ने की अनुमति भी दे देगा जहां तक मुझे भरोसा है ।

इन सब को देखते हुए मैं चाहता हूं । कि भगवान के द्वारा भेजे गए इस रिश्ते की कुबूल कर लिया जाए वरना भगवान नाराज हो सकते है । तो क्या तुम राज़ी हो शादी के लिए । दुर्जन कहता है।


अंजली शरमाते हुए कहती है। जैसा आपको सही लगे पिताजी । मेने सब आप पर छोड़ दिया है । 

तो मैं हां समझूं दुर्जन कहता है ।

अंजली शरमाते हुए नज़रे नीचे झुका कर हां में गर्दन हिला देती है ।

उसे ऐसा करते देख दुर्जन खुशी से उसे अपने सीने से लगा लेता है ।

और कहता सदा खुश रहो मेरी बेटी । ये कह कर वो अपनी मां के पास आता और कहता मां अंजली ने आज फिर साबित कर दिया कि वो मेरी बेटी है । उसने रिश्ता कबूल कर लिया है।

मैं कल सवेरे ही मंजू के पिता के साथ मंजू के ससुराल  जाउंगा  वही अमित और उसके माता पिता को बता दूंगा। और अमित से मिल भी लूंगा और बता भी दुंगा की अंजली का आगे पढ़ने का सपना है ।


दादी भी खुश हो जाती है ।

अंजली जिसे यकीन नही हो रहा था कि पिता जी मान गए । आज वो बहुत खुश थी । वो बार बार खुद को आयने में देखती और शर्माती उसके चेहरे पर एक अजीब लालिमा विराजमान थी ।


उधर अमित सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि  कही अंजली के  पिता ने मना कर दिया तब क्या होगा ।

उसकी मां उसके कमरे में आती और उसे समझाती की बेटा किसी भी पिता के लिए ये आसान नही होता की वो अपनी बेटी का हाथ किसी के भी हाथ में यू ही थमा दे । क्योंकि शादी साथ जन्मों का खेल है कोइ दो चार दिन का गुड़िया गुड्डे का खेल नही । इस लिए परेशान मत हो सब कुछ अच्छा होगा ।

मुझे भरोसा है कि वो मना नही करेंगे । मेरा बेटा भी लाखो में एक है । आज का श्रवण कुमार । वो कैसे इतने अच्छे रिश्ते को मना कर देंगे । चलो अब सो जाओ परसो हमे निकलना भी है । जैसा भी होगा वो बता देंगे । उसकी मां ने कहा ओर चली गई।

लेकिन अमित के बावरे मन को सुकुन नही मिल रहा होता है । उसने तो अपने बच्चों तक के नाम सोच लिए होते है । कैसे ना कैसे करके वो अपने बिस्तर पर लेट जाता है । लेकिन बुरे बुरे खयालात उसका पीछा नही छोड़ रहे थे । ना जाने कब उसकी आंख लगी और वो सो जाता है 

अगली सुबह दरवाज़े पर दस्तक होती है ,,,,,



अगली सुबह दरवाज़े पर दस्तक होती है ।

मंजू की सास दरवाजा खोलती है । नमस्ते समधन जी । अरे समधी जी आप आइए अन्दर आइए । मंजू की सास कहती है ।

दुर्जन और मंजू के पिता अन्दर आ जाते है । मंजू बेटा देखो कोन आया है तुम्हारे पिताजी और अंजली के पिताजी । अंजली के पिता का नाम सुनते ही अमित कमरे से दौड़ कर बाहर आता है ।


अंकल नमस्ते , अमित कहता है । इतने में मंजू भी आ जाती है तेयार हो कर । अपने पिता को देख मंजू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है । आइए पिताजी बैठ जाइए । काका आप भी । अंजली कैसी है उदास होगी जानती हू में । मंजू एक ही सास में सब कुछ पूछ लेती है।

बेटा कैसी होगी तुम्हारे बिना । उदास है कोइ नही धीरे धीरे सही हो जाएगी समय के साथ । तुम बताओ तुम कैसी हो । दुर्जन पूछता है ।

काका मैं भी ठीक हू खुश हू सब मेरा अच्छे से खयाल रखते है । मंजू कहती है 

अमित के परिवार वाले भी आ जाते है । नमस्ते भाई साहब आप लोग कैसे है । दुर्जन अमित के परिवार वालो से पूछता है ।

हम सब ठीक है । आप सुनाए घर पर माताजी और अंजली बेटी कैसी है । अमित की मां पूछती है ।

सब सही है । बस अंजली थोडा उदास है । अपनी सहेली के दूर जाने के गम से । बाकी सब सही चल रहा है । खेत पर फसल उग आई है एक दो बारिश हो जाए तो बस वो भी पक कर तैयार हो जाएगी । दुर्जन कहता है।


मंजू के पिता कहते है क्यू न हम जरुरी बात कर ले जिस काम के लिए आए है?। फिर जाना भी है गांव काफी काम निपटाना भी है ।

जी सही कहा आपने । मंजू की सास कहती है

अमित के दिल की धड़कने काफी तेज हो गई थी ।

बहन जी , मेरी बेटी को मेने बिन मां के पाला है । उसके लिए मैं ही पिता और मैं ही मां हू। वो सिर्फ मेरी बेटी नही है मेरे अब तक के जीने का मकसद थी । मैं हमेशा उसे अपने से दूर करने से डरता हूं । लेकिन अब क्या करा जाए ये रीत ही ऐसी है , जो बरसों से चली आ रही है ना चाहते हुए भी हर मां बाप को ये रीत निभाना होती है ।


और अब शयद मेरी बारी है । कल आप जब मेरे घर अंजली का रिश्ता मांगने आई थी तब मैं आपसे मना करने वाला था शायद मैं जज्बाती फेसला करने वाला था क्योंकि अपनी बेटी अपने कलेजे के टुकड़े को किसी और को सौंपने की बात हो रही थी इस लिए मैं जज्बात में आकर मना करने वाला था ।

लेकिन तभी मेरी मां ने आपसे समय मांग लिया । और आप के जाने के बाद मुझे समझाया की बेटियां पराया धन होती है जो एक ना एक दिन उसके असली हकदार तक पहुंचाना होती है ।


मेरी मां और मैं तो राज़ी थे इस रिश्ते के लिए । लेकिन मैं चाहता था की अंजली भी खुश होना चाहिए । क्योंकि जिंदगी उसे गुजारना है अमित के साथ तो उसकी पसंद सबसे ज्यादा मायने रखती है ।

इसलिए कल शाम मेने उससे पूछ लिया । उसने वही जवाब दिया जो हर शरीफ और इज्जतदार घर की लड़की देती है । उसने कहा जहां आप सब की मर्ज़ी वही मेरी मर्ज़ी कोई भी माता पिता अपने संतान का बुरा नही सोचते ये तो किस्मत के खेल है कब राजा से रंक बन जाए इन्सान पता ही नहीं चलता ।

और इस तरह अंजली ने हां कह दी । दुर्जन कहता है


ये खबर सुन अमित के दिल को सुकुन मिलता और वो एक गहरी सास लेता । उसके दिल के सारे वहम जो वो कल रात से सोच रहा था साब गलत साबित हुए वो इतना खुश था की बयां भी नही कर सकता था ।


अमित की मां ने अमित को गले लगाया और बधाई दी । सब लोग एक दूसरे को बधाई देते है। मंजू दुर्जन के गले लग कर कहती है बहुत बहुत मुबारक काका , अंजली ने अच्छा फैसला किया है। अमित एक अच्छा लड़का है।


चलो बहू सब का मूंह मीठा कराओ । मंजू की सास कहती है।

नहीं नही समधन जी हम बेटी के घर का पानी तक नही पीते । वो तो बस आप लोगों को जवाब देना था इसलिए आ गए बस अब हम चलेंगे। दुर्जन कहता है


अरे अंकल आप मूंह मीठा करे ये सब पुरानी और दख्यानूसी बाते है । ये घर आपका भी है राकेश कहता है । उसके बाद सब नाश्ता करते है ।

अमित की मां कहती है"  क्यू ना हम छोटी सी रस्म करदे जैसे की सगाई ? और उसके कुछ दिन बाद शादी , मैं भी अब थक चुकी हू अकेली रह कर अच्छा है जल्दी से शादी हो जाएगी तो अंजली मेरी बहू नही बेटी बन कर मेरे घर आ जाएगी जिसके साथ मैं रोज़ शाम को शाम की चाय और ढेर सारी बातें करूंगी और कुछ दिनों बाद मेरे आंगन मैं भी छोटे छोटे , प्यारे प्यारे बच्चें खेलेंगे ।

बस भाग्यवान , बस करो तुम ने तो काफी दूर तक का सोच रखा है । पहले समधी जी से तो पूछलो की वो भी राज़ी है की नही । अमित के पिता कहते है।

मुझे माफ करना समधी जी । बस क्या करू अपने जज्बातों को रोक ना पाई । अमित की मां कहती है

कोई बात नही समधन जी । मैं समझ सकता हू मेरी मां भी ऐसे ही खुश थी मेरी शादी को लेकर । दुर्जन कहता है ।

तो समधी जी आपको कोइ परेशानी तो नही होगी इतनी जल्दी मंगनी और शादी करने में । अमित के पिता पूछते है।

दुर्जन थोड़ी देर खामोश होता और एक गहरी सास लेकर कहता है । मुझे परेशानी तो कुछ नही है लेकिन अभी अंजली ने बारहवी की परीक्षा उत्तीर्ण की है और अब वो कॉलेज जाना चाहती है । मैं चाह रहा था की उसका कालेज खत्म होने तक अगर आप रुक जाए तो अच्छा होगा । वो और कुछ दिन मेरे पास रह लेगी । 


थोड़ी देर के लिए वहा सन्नाटा छा जाता है । तभी अमित कहता है ," अंकल बस इतनी सी बात , अंजली को अगर पढ़ने का शोक है तो हम सब उसका साथ देंगे और मैं वादा करता हू की शादी के बाद वो जिस कालेज में और जोनसी भी पढ़ाई करना चाहेगी मैं कराऊंगा उसे क्योंकि आने वाले समय मैं वो मेरा बाजू बन सके और मेरे बच्चों को घर पर ही तालीम दे सके " 


आप परेशान मत हो समधी जी आप बेफिक्र हो कर अपनी बेटी हमे सोप दीजिए ईश्वर ने चाहा तो उसे कोई परेशानी नही होगी । आप बस सगाई और उसके बाद शादी की तैयारी कीजिए । अमित के पिता कहते है ।

उन सब की बाते सुन दुर्जन खुश होता ओर सोचता इससे अच्छा ससुराल मेरी बेटी को मिल नही सकता ।

दुर्जन कहता है ," मैं आप सब की बातो से सहमत हू बस अपनी मां की राय जानना चाहता हू अगर उसने हां कह दी तब आप मेरे घर अंजली की सगाई के लिए आ सकते है "

अमित ये सुन काफी खुश होता है ।

वो दोनो वहा से विदा लेते और अपने अपने घर आ जाते है।


अंजली अपने पिता को पानी पिलाती है । क्या हुआ पिताजी काफी उदास लग रहे है।

कुछ नही बेटा बस थक गाया हू , तुम जाओ अन्दर कमरे में मुझे तुम्हारी दादी से कुछ जरूरी बात करनी है । दुर्जन कहता है


जी पिताजी , अंजली कहती और चली जाती । अंजली का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है वो सोचती है । जरूर पिताजी ने कुछ देखा होगा वहा जो वो दादी से वार्तालाप करना चाहते है । अकेले में ।
वो दरवाज़े पर खड़ी दोनो की बाते सुनती है ।


क्या हुआ बेटा , कुछ बुरा हुआ है क्या रिश्ता अच्छा नही लगा तुझे । दादी दुखी मन से पूछती है ।

नही मां , ऐसा कुछ नही हुआ बल्कि अमित और उसके परिवार वाले तो बहुत अच्छे है । मेरी  बेटी के तो भाग खुल जाएंगे । दुर्जन कहता है।

 फिर क्यू इतना उदास नजर आ रहा है । कुछ कहा उन लोगों ने । दादी पूछती है


हां , अम्मा कुछ ऐसा जिसे सुन मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा । मां वो लोग चाह  रहे है की कुछ दिन बाद सगाई करदे और एक दो महीने में शादी । लेकिन मैं ने उन्हें बताया की अंजली अभी कॉलेज जाना चाहती है पढ़ना चाहती है । दुर्जन कहता है 


हाय! ये क्या कर दिया तूने । उसे कोनसा पढ़ लिख कर कलेक्टर बन जाना है । करना तो वही चूल्हा चोखा है । कही तूने मना तो नही कर दिया । दादी कहती है ।

नही अम्मा , मना नही किया है थोड़ा समय मांगा है और मुझे तुझसे भी मशवरा लेना था वैसे अमित कह रहा था कि वो लोग उसे पढा देंगे और शायद काम की भी इजाजत मिल जाए । दुर्जन कहता है।

बहुत सही करा तूने जो उनसे समय मांग लिया । अब देख मंजू की भी शादी हो गई वो भी अपने घर की हो गई । अब रही बात अंजली की तो उसकी भी शादी कर दे । वैसे कॉलेज के लिए उसे शहर तो जाना ही पड़ता । इससे अच्छा है कि शादी के बाद अपने आदमी के साथ कॉलेज जाएगी हमारी जिम्मेदारी भी नही रहेगी । तू भी बेफिक्र हो जायेगा वरना देर हो जाने पर दौड़ा दौड़ा बस अड्डे के चक्कर लगाता रहेगा । दादी कहती है ।

अंजली ये सब सुन मुस्कुराती है।

अम्मा तुम्हार बात सही है । मुझे भी सब अच्छा लग रहा है । लेकिन बात सिर्फ अंजली की पढ़ाई की नही है बात कुछ और है । दुर्जन कहता है ।

क्या बात है ? अपनी मां को नही बताएगा । दादी कहती है

अम्मा बात है पेसो की । आखिर इतना पैसा कहा से लाऊंगा । शादी करना इतना आसान है क्या? गांव वालो को खाना खिलाना, बारातियों का अच्छे से स्वागत करना नही तो अंजली को ज़िंदगी भर ताने मिलेंगे ।

दहेज जमा करना । इन सब के लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत पड़ती है । और जो की अभी मेरे पास नही अभी तो फसल भी छोटी है । दुर्जन कहता है।


मैं समझ सकती हू । बेटा लेकिन अच्छे अच्छे रिश्ते रोज नही आते है । इतना अच्छा घर और वर किस्मत वालियों को मिलता है । तेरे पास घर है, जमीन है उसे गिरवी रख दे किसी के पास ।

मेरी मान आधी जमीन गिरवी रखदे और आधी पर फसल उगा कर कर्जा उतार देना । और मेरे पास कुछ सोने के कंगन है जो तू तुड़वा कर अंजली के लिए सोने का हार बनवा दियो ।


अंजली के चेहरे की मुस्कान उड़ जाती है जब वो अपने पिता का उदास चेहरा देखती है ।


ठीक है अम्मा तू परेशान मत हो मैं कुछ ना कुछ कर लूंगा  पहले कल सुबह पेसो का बंदोबस्त करता हू ओर बाद में संदेसा भिजवा दूंगा कि मैं सगाई के लिए तैयार हू ।


अगली सुबह दुर्जन गांव मै जाता है ,,,,,,,

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5 Comments

Shnaya

07-Apr-2022 12:18 PM

Very nice👌

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Simran Bhagat

30-Mar-2022 08:39 AM

Nice

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Zakirhusain Abbas Chougule

30-Mar-2022 12:54 AM

वाह बहुत खूब

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